क्या भारत शांतिप्रिय देश है?


पूरी दुनिया जानती है कि भारत एक शांतिप्रिय देश है और भारत भी गला फाड़-फाड़ केयही कहता है. लेकिन क्या वाकई हमारे देश में शांति है. अगर देखा जाय तो पूरे एशिया में अगर अफगानिस्तान को छोड़ दिया जाये तो भारत सबसे अशांत देश की श्रेणी में आता है. इसकी अंदाजा हम इसी बात से लगा सकते हैं कि पूरा भारत आतंकवाद, नक्सलवाद और भ्रष्टाचार के जख्मों को झेल रहा है. पूरा का पूरा सरकारी तंत्र गैस विवाद पर उलझा हुआ है. जो 25 साल पहले हुआ था. उसका फैसला भी आया तो किसी को सजा नहीं हुई सारे के सारे बरी हो गये, यानि 25 हजार मौतों का जिम्मेदार कोई नहीं.
ऐसे बहुत ही उदाहरण है जिससे यह बात साबित हो जायेगी की हमारा देश शांत नहीं है. सन् 1984 की बात करें तो ऑपरेशन ब्लू स्टार, इंदिरा गांधी की हत्या, उसके बाद के सिख विरोधी दंगे, 1985 की बात करें भोपाल गैस कांड, उसके बाद राजीव गांधी की हत्या, ये सिलसिला चलता रहा सन् 1993 में बम्बई में सिलसिलेवार हुए बम ब्लास्ट, करगिल युद्ध, कांधार विमान अपहरण कांड, संसद भवन में हुआ हमला, अक्षरधाम मंदिर पर हमला, दिल्ली के व्यस्तम बाजार में बम ब्लास्ट, गुजरात में हुए दंगे जिसमें 2000 से ज्यादा लोग मारे गये, बंग्लुरू के सिनेमाहॉल के बाहर और पार्क में हुए बम ब्लास्ट, पुणे में प्रतिष्ठित बेस्ट बेकरी बम ब्लास्ट, मालेगांव बम विस्फोट, उड़ीसा के कंधमाल में हुए जातिय हमले में कई लोग मारे गये जो अब तक शांत नहीं हुआ है, सन् 2008 को मुम्बई में जो आतंकवादी घटना हुआ उसे कोई भुला नहीं सकता है, पूरी मुम्बई क्या पूरा का पूरा भारत हिल गया था. हाल की घटना पर अगर गौर करें तो ये घटनाएं जेहन से निकलती ही नहीं है, दंतेवाड़ा में नक्सलियों द्वारा 83 जवानों की मौत, बस्तर में आये दिन निर्दोष ग्रामीणों की मौत, सबसे ताजा उदाहरण है ज्ञानेश्वरी हादसा, जिसमें 170 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई. ये नक्सलियों द्वारा किया गया अब तक का सबसे बड़ा घटना था. साल में 5 बार तो भारत बंद होता है. कभी जाट तो कभी राजनीतिक पार्टियां तो कभी नक्सली आए दिन बंद बुलाते रहते हैं. साल में 20 से 25 बार तो नक्सली झारखण्ड और बिहार बंद बुलाते हैं. इस दौरान जो तबाही होती है. उसका कोई हिसाब-किताब नहीं है.
यह याद रहे कि इसमें हमने जम्मू-कश्मीर में हो रहे हमले, मुडभेड़ों और बंदी को नहीं जोड़ा गया है क्योंकि वहां सालो भर यही माहौल बना रहता है. अब भी क्या आप कह सकते हैं कि भारत में शांति है और भारत एक शांतिप्रिय देश है. भारत कभी किसी देश पर आक्रमण नहीं करता है, भारत की शांति सेनाएं पूरी दुनिया के देशों में जाती है. लेकिन हमारे देश के अंदर ही गृहयुद्ध जैसी स्थिति है. भारत के लोगों से ज्यादा सरकार को सोचनी चाहिए की शांति व्यवस्था कैसे कायम हो सकती है. यह सरकार का काम है फिर भी ऐसे सारे घटनाक्रम पर कई जांच कमिटी बैठा दी जाती है. और फैसला आने का इंतजार किया जाता है. और कोई निर्णय नहीं निकलता है. जैसा भोपाल गैस कांड के साथ हुआ. यनि हमें सभी मुद्दों पर ढाक के तीन पात वाली स्थिति उत्पन्न हो जाती है.
चंदन कुमार
बागबेड़ा

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