मेरी डुमरिया यात्रा

मेरी डुमरिया यात्रा
आज से एक महिना पहले मैं काम के सिलसिले में डुमरिया गया. रास्ते काफी अच्छे नही थी. फ़िर भी मैं आप को उस रस्ते पर ले चलता हु जहां मैं गया. सबसे पहले मैं टाटानगर स्टेशन से घाटशिला के लिए ट्रेन ली और ट्रेन पर सवार हो गया. ट्रेन मैं लोग काफी थे पर मुझे बैट्ने के लिए जगह मिल गया. लगभग ४५ मिनट बाद घाटशिला स्टेशन आया. लोग दौड़ कर स्टेशन से बहार आने लगे मैं समाज नही सका की लोग क्यों भाग रहे है. मेरे दोस्त ने बताया की यहाँ सवारी गाड़ी बहुत कम मिलती है. हम लोग ने थोड़े दूर से गाड़ी पकड़ने की सोची जो लगभग ३० फिट की दुरी पर थी. लेकिन जब वह पंहुचा तो हालत और ख़राब थी. लोग Commander Jeep पर लटक कर जा रहे थे. जैसे तैसे हमलोग भी उसमे सवार हो गए. यात्रा काफी लम्बी थी अब भी हमलोग १ घंटे की दुरी पर थे. १० बजे की कड़ी धुप और गाड़ी मैं जगह नही. रास्ते भी ख़राब ही थी पर गाँव के लिए ठीक थी. सबसे पहले हम लोग मुसाबनी पहुचे. जो ४५ मिनट में आ गई. अरे भाई अभी तो मुसाबनी ही पहुचे है अभी लगभग २० मिनट का रास्ता और बाकि था. गाड़ी से उतारते ही हमने पैसे दिए और दुसरे कमांडर जिप की तलाश मैं खड़े हो गए. लेकिन जो गाड़ी जाने वाली थी वो पहले वाले स्थिति मैं थी यानि लोग इसमे भी लटके थे सुकर है की मेरे दोस्त का दोस्त ने अपने गाड़ी से डुमरिया ले जाने के लिए वहां आया और एक मोटर कयाले मैं तीन लोग यानि यहाँ भी जगह नही थी. रास्ते के चारो तरफ़ खेत और छोटे छोटे माकन. जो काफी अच्छी लग रही थी. लगरहा था की हरे हरे घास के मैदान हो. एक छोटी से नदी पार करने के बाद हम डुमरिया पहुच गए. लेकिन मजा आ गया.

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